राहुल ने दिया कांग्रेस मुक्त भारत का जवाब

कांग्रेस जैसी देश की सबसे पुरानी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होना गौरव की बात भी है और गंभीर दायित्व निभाने का कर्त्तव्य पथ भी। मौजूदा अध्यक्ष राहुल गांधी संयोग से इस पद पर नहीं पहुंचे हैं बल्कि उन्हें विरासत में यह पद मिला और 2004 में जब उनकी माता श्रीमती सोनिया गांधी ने कांग्रेस को पहली बार गठबंधन की राजनीति से जोड़कर भाजपा के राजग गठबंधन के समानांतर यूपीए (यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस) बनाकर देश की सत्ता भाजपा से छीनी, तभी से गंभीर भूमिका की अपेक्षा थी लेकिन अफसोस के साथ यह कहना पड़ता है कि उस गोल्डेन समय का उपयोग राहुल गांधी नहीं कर पाये। अब यह संयोग जरूर है कि 2017 में 11 दिसम्बर को ही राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे और ठीक एक साल बाद 11 दिसम्बर 2018 को कांग्रेस ने भाजपा से तीन बड़े राज्य- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को छीन लिया। इतना ही नहीं इस बीच राहुल गांधी की अध्यक्षता में ही कांग्रेस ने कर्नाटक में दुबारा सरकार बना ली, भले ही उसे पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देव गौड़ा की पार्टी को मुख्यमंत्री पद देना पड़ा है।



इस प्रकार राहुल गांधी को उनके अध्यक्षीय कार्यकाल की पहली वर्षगांठ पर इससे बेहतर तोहफा नहीं मिल सकता था लेकिन इसी अवसर पर बेहतर दायित्व निभाने की जिम्मेदारी भी उनके कंधे पर आ गयी है। इसकी परीक्षा 2019 के लोकसभा चुनाव में होनी है। पांच राज्यों में मिजोरम तो पहले से कांग्रेस के पास था और वहां से कांग्रेस की सत्ता चली गयी। इस प्रकार पूर्वोत्तर प्रकारचवतर भारत में अब कांग्रेस का सफाया हो गया है। तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग करके राज्य बनाया गया था और आंध्रप्रदेश में चन्द्रबाबू नायडू ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली थी तो तेलंगाना में टी आर एस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) के मुखिया के चंद्र शेखर राव ने सत्ता पर कब्जा किया था। इन दोनों राज्यों को छोड़कर भी 11 दिसम्बर से पूर्व के भारत 1लना की के राजनीतिक मानचित्र को देखते तो पूरे देश में भगवा रंग ही दिखाई पड़ता था लेकिन अब भगवा रंग उस तरह के बादलों की तरह दिखता है जो बारिश खत्म होने पर आकाश में कहीं-कहीं दिखलाई पड़ते हैं। कहने के लिए भाजपा के पास 16 राज्य अब भी हैं लेकिन कांग्रेस में पास पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश और कर्नाटक जैसे चार बड़े राज्य हैं। तो भाजपा के पास भी उत्तर प्रदेश समेत गुजरात और महाराष्ट्र के तीन ही बड़े राज्य बचे हैं। भाजपा ने 2014 में राजस्थान के सभी 25 लोकसभा क्षेत्रों में भगवा रंग खिला दिया था। इस बार के विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें तो भाजपा के पास सिर्फ 17 सांसद पहुंच सकते हैं जबकि कांग्रेस को यहां से 12 सांसद मिल सकते है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में 29 सांसद होते हैं। इनमें 2014 में भाजपा ने 27 सांसद अपने कब्जे में किये थे और कांग्रेस को सिर्फ 2 सांसद मिल पाये थे। इस बार के विधान सभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि 2019 में भाजपा को सिर्फ 13 सांसद मिल पाएंगे और 12 सांसद कांग्रेस को मिलेंगे। छत्तीसगढ़ के हालात तो और भी ज्यादा भाजपा के लिए चिंतनीय है। वहां 11 सांसदों में भाजपा को 2014 में 10 सांसद मिले थे और कांग्रेस को सिर्फ एक मिल पाया था। इस बार के विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें तो भाजपा को सिर्फ एक संसदीय क्षेत्र में विजय हासिल हुई है और 10 सांसद कांग्रेस को मिलते दिखाई पड़ रहे है।