जे.पी.नड्डा को बड़ी जिम्मेदारी

भारतीयजनता पार्टी (भाजपा) ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जय प्रकाश नड्डा पर इस बार उत्तर प्रदेश में भाजपा को लोकसभा का चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है। यह कही आसान नहीं है। पिछली बार 2014 में भाजपा ने जिस तरह से नरेन्द्र मोदी की लहर में प्रदेश की 80 में से 71 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, और 2 सीटे उसकी सहयोगी दल ने जीती, उस तरह का प्रदर्शन 2019 में दोहराना बहुत मुश्किल है। हालांकि यह भी कहा जा सकता है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इसबार एक बड़ा परिवर्तन यह भी देखने को मिल रहा है कि दो प्रमुख विपक्षीदल सपा और बसपा ने गठबंधन लगभग पूरा कर लिया है। इतना ही नहीं प्रदेश में सपा और बसपा की केमिस्ट्री भी साफ दिखने लगी है। खनन के मामले में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को आरोपित करने पर बसपा ने उसका जमकर विरोध किया है। हालांकि इस मामले में कांग्रेस और रालोद भी साथ खड़े हो गये है। इस प्रकार भाजपा के खिलाफ पूरा विपक्ष एक जुट दिख रहा है। उधर, भाजपा ने सहयोगी अपना दल में भी फूट पड़ गयी है और उसका एक घड़ा भाजपा में अलग खड़ा है इसीतरह ओमप्रकाश राजभर की पार्टी भी सीटों को लेकर नाराज है। ऐसे हालात में जेपी नड्डा को उत्तर प्रदेश में भाजपा को वही सफलता दोहराने के लिए कहा गया है।

भारतीय जनता पार्टी ने अभी कुछ दिन पहले ही राज्यों के लिए प्रभारी तैनात किये है। यह तो सभी को पता है कि राजनीतिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। पहले तो यही कहा जाता था कि केन्द्र में सरकार बनाने का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही गुजरता है लेकिन बीच में सपा और बसपा की सरकारों ने इस मिथक को भी तोड़ दिया है। हालांकि सबसे ज्यादा सांसद उत्तर प्रदेश से ही मिलते हैं और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की बागडोर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को सौपी हैं इससे पूर्व जेपी नड्डा ने हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जेपी नड्डा वहां के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी शामिल थे लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जयराम ठाकुर को वहां का मुख्यमंत्री बना दिया। हिमाचल प्रदेश में एम्स की स्थापना करवाने का श्रेय जेपी नड्डा को ही जाता है। उत्तर प्रदेश में भी एम्स की स्थापना होनी है। इस कार्य में विलम्ब न होने पाये इसलिए केन्द्रीय स्वास्थ्यमंत्री जेपी नड्डा को उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रभारी बनाया गया है। उत्तर प्रदेश के लिए कई और प्रभारी भी होंगे लेकिन जेपी नड्डा को मुख्य चुनाव प्रभारी बनाया गया है। यह घोषणा गत 5 जनवरी को की गयी थी। इससे पहले 26 दिसम्बर को घोषित किये गये मध्यप्रदेश के पूर्वमंत्री व विधायक नरोत्तम किम, गुजरात के पूर्व गृहमंत्री गोवर्द्धन जडफिया और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दृष्यंत गौतम को क्षेत्रवार प्रभारी बनाया गया था। इन तीनो क्षेत्रवार प्रभारियों के बीच ही भाजपा के क्षेत्रों का बंटवारा होगा। भाजपा ने यूपी को छह भाग है अवध, काशी, कानपुर, बुंदेलखण्ड, पश्चिम यूपी, ब्रज और गोरखपुर। इसके साथ ही सुनील ओझा को भी सहप्रभारी बनाया गया। इन्हें भी किसी क्षेत्र की चुनाव तैयारी की जिम्मेदारी दी जाएगी।

बहरहाल, भाजपा ने नेतृत्व ने भी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरणों को बहुत ही महत्व दिया है और पहली बार चुनाव के लिए इतने सारे प्रभारी तैनात किया गया है। जेपी नड्डा को चुनिंदा रणनीति कारों में माना जाता है। पिछले वर्ष हिमाचल में उन्होंने अपना करिश्मा दिखाया था, जब अलग-अलग खेमों में होती भाजपा को शानदार जीत मिली थी। श्री नड्डा हिमाचल प्रदेश से ही राज्य सभा सदस्य है। वे भाजपा के केन्दीय संसदीय बोर्ड के सचिव भी है। केन्द्रीय राजनीति में आने से पहले वह हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार में मंत्री भी रह चुके है। उत्तर प्रदेश में भाजपा ने श्री जेपी नड्डा के मुख्य चुनाव प्रभारी नियुक्त करने के अलावा देवरिया के कलराज मिश्र को हरियाणा का चुनाव प्रभारी बनाया। भाजपा की यह रणनीति प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के स्वतंत्र विचारों को जानने के लिए बनायी गयी है। इस बार उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा का गठबंधन लगभग पक्का हो चुका है। इसके साथ ही कांग्रेस और रालोद को भी जोड़ने का प्रयास चल रहा है। सपा और बसपा ने अभी 37-37 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फार्मूला बनाया है। इस प्रकार चार सीटें रालोद के लिए और दो सीटें- अमेठी, रायबरेली-कांग्रेस के लिए छोड़ी जा रही है। कांग्रेस के लिए यह असहज स्थिति होगी लेकिन राहुल गांधी को दिल्ली की कुर्सी अगर देखनी है तो वे किसी भी स्थिति में समझौता कर सकते है। उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के प्रमुख नेता अलग अर्थात अकेले दम पर ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। इन दिनों पूर्व सांसद पीएल पुनिया की बात श्री राहुल गांधी ज्यादा मानते हैं क्योंकि उन्हीं की रणनीति पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने भाजपा को बुरी तरह से पराजित किया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत के बाद से ही पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अपने नेताओं से फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। वरिष्ठ नेताओं और विधायको के अलावा पूर्व सांसदों और विधायकों से भी राय ली गयी है इसके बाद ही यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस को अकेले दम पर ही लड़ना चाहिए।


बहरहाल भाजपा की यह चिंता भी नहीं है। यूपी में भाजपा के लिए कांग्रेस कोई बाधा नहीं बन रही है बल्कि सपा और बसपा का गठबंधन ही असली मुश्किल है। इसी गठबंधन ने गोखपुर और फूलपुर की संसदीय सीटो पर हुए उपचुनाव में भाजपा को पराजित किया। समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव के अलग पार्टी बनाने के बाद भी बसपा का समर्थन ही भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है क्योंकि सुश्री मायावती अपने वोट बैंक को कहीं भी डायवर्ट कर सकती हैं। इन दिनों सपा और बसपा की केमिस्ट्री गजब की है। खनन मामले में पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ जांच को लेकर बसपा ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। हालंाकि कांग्रेस और रालोद ने भी इस मामले को राजनीतिक बताया है। प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार में गायत्री प्रजापति पर खनन घोटाला करने का आरोप था। उन्हें अखिलेश यादव ने मंत्रिमंडल से हटा भी दिया था लेकिन बाद में अपने पिता मुलायम सिंह के रहने पर उन्हें मंत्रिमंडल में ले लिया लेकिन परिवहन विभाग का मंत्री बनाया था। इस बीच खनन विभाग तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास था और उनपर अनियमित तरीके से खनन पट्टे देने का आरोप है।

यूपी में खनन घोटाले में सीबी आई छापे के विरोध में संसद में अंदर और बाहर सपा और बसपा का बेहतर तालमेल दिखाई पड़ा है। सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद सपा और बसपा ने एक साथ सरकार को घेरा। सपा नेता प्रो. रामगोपाल यादव और बसपा नेता सतीश चन्द्र मिश्र ने केन्द्र सरकार पर सीबीआई के दुरूपयोग का आरोप लगाया। इन दोनों नेताओं के साझा बयान देने के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और आंनंद लाल शर्मा वहां आ गये और प्रो. राम गोपाल यादव के साथ खड़े होकर सपा का समर्थन किया। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि केन्द्र सरकार विरोधियों को कमजोर करने के लिए सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल कर रही है। उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की सियासी एकता को देखते हुए भाजपा नेता जेपी नड्डा को अपनी सम्पूर्ण रणनीति कुशलता का परिचय देना होगा। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 2014 और 2017 में जो माहौल बनाया था, उसे बनाये रखना ही बहुत बड़ी कामयाबी होगी।


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