इंसानियत और शहादत को मोदी सरकार पीछे छोड़ आयी है : सुरजेवाला


अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि पुलवामा का आतंकी हमला हमारे देश की सामूहिक चेतना और अखंडता पर हमला है। 40 साहसी शहीदों के बलिदान पर हर भारतीय अत्यंत व्यथित है, रोष और आक्रोश में है। संकट की इस घड़ी में जैसा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और पूरा देश सेना और शहीदों के परिवारों के साथ है और इस बर्बर आतंकी हमले के मुजरिम उग्रवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्यवाही की मांग भी करता है। ऐसे कायराना हमलों से पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपने छद्म युद्ध में कभी कामयाब नहीं हो सकता। 1947, 1965, 1971 और 1999 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को जोरदार सबक सिखाया है।



देश को आज भी याद है कि श्रीमती इंदिरा गांधी और देश की सेना ने 1971 में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था, न केवल इंदिरा जी ने बांग्लादेश को आजादी दिलवाई, बल्कि पाकिस्तान के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी को 91,000 पाक सैनिकों के साथ ढाका में भारत के ईस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने समर्पण करना पड़ा था। यह बात आज भी दोनों देश के इतिहास के पन्नों पर अंकित है। कांग्रेस पार्टी ने भारत की एकता और अखंड़ता पर हमला बोलने वाले पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों को करारा जवाब देने हेतू हमारी सेना और सरकार का भरपूर समर्थन किया है। कांग्रेस और पूरा देश आज भी इस संकल्प पर अडिग है, पर दुर्भाग्यवश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए सत्ता की लालसा देश की सेना और शहीदों के सम्मान से बड़ी है। मोदी जी राजधर्म भूल कर केवल राज बचाने की जुगत में लगे हैं। सत्ता की भूख में इंसानियत और शहादत को मोदी सरकार पीछे छोड़ आई है। इसलिए 14 फरवरी से 7 दिन तक शहीदों के सम्मान में मौन रहकर हम यथार्थ तथ्य को देश के समक्ष रखने को आज मजबूर हैं।



भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ भड़काऊ बयान देकर सस्ती राजनीति का खेल खेला और हमारे जवानों की शहादत से राजनीति की। 17 फरवरी को असम की एक रैली में अमित शाह जी ने पुलवामा हमले पर राजनीति करते हुए कहा कि उनके बलिदान व्यर्थ नहीं जाएंगे क्योंकि केन्द्र में कांग्रेस नहीं मोदी जी का शासन है। अमित शाह जी क्या भूल गए कि पाकिस्तान को हर बार 1947, 1965 और 1971 में क्या कांग्रेस की सरकारों ने धूल नहीं चटाई थी?



मोदी-शाह की जोड़ी को आतंकवाद पर राजनीति करने की बुरी आदत है। हम देश को याद दिलाना चाहेंगे कि जब मुंबई 26ध्11 का आतंकी हमला चल रहा था, तो उस वक्त नरेन्द्र मोदी मुंबई में आतंकी हमले के स्थान के पास भारत सरकार की आलोचना करने वाली एक प्रेस वार्ता का उद्बोधन कर रहे थे। 28/11 और उसका वीडियो आज भी हमारे पास है और एक मिनट के लिए मैं चाहूंगा कि हमारे साथी वो दिखाएं।



ये तब का है जब आतंकी हमला चल रहा था। 28ध्11 को जब हमारी सेना उन आतंकियों को मुंबई से साफ करने में लगी थी तो, भारतीय जनता पार्टी रक्त रंजित इश्तिहार देकर वोट की अपील कर रही थी। ये आज भी इतिहास के पन्नों पर अंकित है। जब देश की सेना आतंकियों से लड़ रही थी तो भाजपाई 28/11 को अखबार में ये इश्तिहार दे रहे थे और ये सब भाजपा को वोट दें, उस समय के अखबार और उनके इश्तिहार आज भी भारतीय जनता पार्टी की आतंकवाद पर राजनीति करने की कहानी को बयां करते हैं। इतना ही नहीं 2014 तक हर बार मोदी जी ने चुनाव तक मुंबई हमलों पर अपनी राजनीति को जारी रखा।



आज देश गहरे शोक से गुजर रहा है, शहीदों की यादें बीन-बीन कर चुन रहा है, पर मोदी जी दो दिन की विदेश यात्रा में दक्षिण कोरिया सैर-सपाटे के लिए पहुंच गए हैं। एक ऐसे संवेदनशील समय में, जब देश इतनी भयावह पीड़ा से गुजर रहा है, देश का प्रधानमंत्री सैर-सपाटे और विदेश यात्रा में व्यस्त हों, ये मोदी सरकार की गलत प्राथमिकताओं को दर्शाता है। देश की सुरक्षा पर इस अक्षम्य विफलता के लिए मोदी सरकार को अपनी जिम्मेवारी और विफलता स्वीकार करनी होगी और देश को जवाब देना पड़ेगा।